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Modern Indian History Class Hindi

आज की क्लास की रूपरेखा एवं विगत कक्षा की चर्चा एवं(8:07:53 AM)

कर्नाटक युद्ध (8:14:25 AM)

हैदराबाद और कर्नाटक; आंग्ल फ्रांसीसी संघर्ष (8:24:23 AM)

  • चिनकिलिच खान ने हैदराबाद में 1724 में व्यवहारिक रूप से स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर इस क्षेत्र का प्रशासनिक-आर्थिक व सांस्कृतिक सुदृढीकरण किया 
  • कर्नाटक जो कि एक मुगल सूबा था, भी स्वतंत्र व्यवहार करने लगा था परंतु इस क्षेत्र पर हैदराबाद के निजाम का प्रभाव था 
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तथा फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी व्यापारिक महत्वाकांक्षाओं के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में एक दूसरे के साथ संघर्षरत थे साथ ही ब्रिटेन तथा फ्रांस यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में भी युद्ध में संलग्न थे। 
  • इस पृष्ठभूमि में कर्नाटक क्षेत्र में आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष प्रारंभ हुआ 

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48) (8:31:37 AM):

कारण (8:40:34 AM)

  • ब्रिटेन तथा फ्रांस की महत्वाकांक्षा 
  • यूरोप में चल रहे ऑस्ट्रीया के उत्तराधिकार के युद्ध में विरोधी गुटों को समर्थन तथा युद्ध में संलग्नता 
  • ब्रिटिश द्वारा भारतीय क्षेत्र में फ्रांसीसी जहाजों को डुबा देने के साथ युद्ध का प्रारंभ 

घटनाक्रम (8:43:24 AM)

  • सेंट थोमे या अडयार का युद्ध- फ्रांसीसी बनाम कर्नाटक नवाब+ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी 
    • फ्रांसीसी सेना का प्रमुख नेतृत्वकर्ता डुप्ले तथा ब्रिटिश सेना का नेतृत्व मेजर स्ट्रिनजर लॉरेंस कर रहा था 
    • फ्रांसीसी कंपनी की विजय
  • एक्स-ला-चैपल की संधि ( वर्तमान पश्चिम जर्मनी): चूंकि ब्रिटिश ने उत्तरी अमेरिका में फ्रांस को हराया था तथा भारत में फ्रांस ने ब्रिटिश क्षेत्रों पर अधिकार स्थापित किया था, दोनों ने उत्तरी अमेरिका तथा भारत में एक-दूसरे के जीते हुए क्षेत्रों को लौटा दिया।
  • प्रथम कर्नाटक युद्ध का महत्व- यूरोपियों को एहसास हुआ कि एक छोटी अनुशासित सेना के साथ भारतीय राजाओं की बड़ी सेनाओं को हराना संभव है 

द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749 से 1754): (8:53:18 AM):

कारण (9:10:07 AM)

  • ब्रिटेन तथा फ्रांस की महत्वाकांक्षा 
  • 1748 में हैदराबाद के निजाम चिनकिलिच खान की मृत्यु के पश्चात प्रांरभ हुआ उत्तराधिकार का युद्ध।
  • हैदराबाद के साथ साथ चन्दा साहब के आगमन से कर्नाटक में भी उत्तराधिकार का युद्ध आरंभ हुआ
  • हैदराबाद- नासिर जंग (समर्थन-ब्रिटेन) बनाम मुजफ्फर जंग (समर्थन-फ्रांस)
  • कर्नाटक- अनवरुद्दीन (समर्थन-ब्रिटेन)(इसका उत्तराधिकारी मुहम्मद अली था) बनाम चन्दा साहब (समर्थन-फ्रांस) 

घटनाक्रम एवं परिणाम (9:15:52 AM)

  • 1749 में अम्बूर का युद्ध-
    • इस युद्ध में डुप्ले द्वारा अनवरुद्दीन की हत्या कर दी गई तथा फ्रांसीसी समर्थन प्राप्त व्यक्ति हैदराबाद तथा कर्नाटक में सत्ता में आए 
    • अनवरुद्दीन के उत्तराधिकारी मुहम्मद अली ने त्रिचिरापल्ली में शरण ली थी जिसके कारण चन्दा साहब ने त्रिचिरापल्ली पर आक्रमण किया 
  •  1751 में आर्कोट का युद्ध: 
    • रॉबर्ट क्लाइव (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी) ने अत्यंत सूझबूझ का प्रयोग करते हुए आर्कोट पर अचानक आक्रमण कर विजय प्राप्त की 
    • इसके पश्चात हैदराबाद तथा कर्नाटक में ब्रिटिश समर्थन प्राप्त व्यक्ति सत्ता में आए (हैदराबाद में नासिरजंग तथा कर्नाटक में मुहम्मद अली)
  • इसी दौरान, फ़्रांसीसियों ने उत्तरी अमेरिका में ब्रिटिश के विरुद्ध विजय दर्ज की।
  • पॉन्डिचेरी की संधि-1754: (9:23:17 AM)
    • इस संधि की शर्तों के अनुसार, ब्रिटेन तथा फ्रांस ने उत्तरी अमेरिका व भारत में एक-दूसरे के जीते हुए क्षेत्रों को वापस कर दिया तथा फ्रांस द्वारा डुप्ले को वापस बुला लिया गया।
  • नोट- इस युद्ध में फ्रांसीसी नेतृत्वकर्ता डुप्ले तथा ब्रिटिश की तरफ से त्रिचरापल्ली में स्ट्रिनजर लॉरेंस तथा आरकोट में क्लाइव का नेतृत्व था। 
  • द्वितीय कर्नाटक युद्ध का महत्व- ब्रिटिश सेना की आर्कोट विजय तथा डुप्ले की वापसी से भारत के ब्रिटेन द्वारा जीते जाने की संभावना बढ़ गई 

तृतीय कर्नाटक युद्ध 1757 से 1763  (9:31:45 AM):

कारण (9:40:42 AM)

  • ब्रिटेन तथा फ्रांस की महत्वाकांक्षा 
  • यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध

घटनाक्रम

  • भारत में प्रमुख युद्ध 
    • वांडीवाश का युद्ध (1760): इस युद्ध में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के नेतृत्वकर्ता काउन्ट डी लाली और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नेतृत्वकर्ता सर आयरकूट- ब्रिटिश कंपनी की विजय।
  • नोट-
    • इस दौरान ब्रिटिश-फ्रांसीसी संघर्ष बंगाल क्षेत्र में भी दिखाई देता है। (क्लाइव द्वारा चंद्रनगर पर किया गया आक्रमण)
    • उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप में युद्ध समाप्ति के पश्चात संधि का प्रस्ताव 
  • पेरिस की संधि (1763): पेरिस की संधि के अंतर्गत, फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में केवल एक व्यापारिक शक्ति के रूप में रह सकती थी तथा अपने क्षेत्रों की किलेबंदी नहीं कर सकती थी
  • महत्व- कर्नाटक युद्ध में अंततः ब्रिटिश विजय ने भारत में यूरोपीय कंपनियों की प्रतिद्वंद्विता समाप्त कर भारत के ब्रिटिश विजय के द्वारा खोल दिए 

आंग्ल फ्रांसीसी संघर्ष में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय तथा फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की असफलता का कारण: (9:50:45 AM)

  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एक निजी/प्राइवेट कंपनी थी जबकि फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी एक सरकारी कंपनी थी, फ्रांसीसी सरकार निरंकुश, अकुशल, भ्रष्टाचारी, राजतन्त्र की थी। 
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तीव्र गति से फैसले लिया करती थी जबकि फ्रेंच कंपनी के निर्णयों में देरी दिखाई देती है। 
  • डुप्ले के बाद फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के पास योग्य नेतृत्व का अभाव था जबकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास योग्य अधिकारियों की एक शृंखला थी।  
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल से प्राप्त संसाधनों का लाभ भी प्राप्त था
  • ब्रिटिश नौसेना की मजबूती भी ब्रिटिश के पक्ष में थी 

भारत में ब्रिटिश विस्तार के दृष्टिकोण से कर्नाटक युद्धों का महत्व (10:03:29 AM)

  • एक महत्वपूर्ण प्रतिद्वंद्वी फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी को हराया 
  • भारतीय राजाओं की आपसी फूट का बोध होना
  • उत्तराधिकार के युद्धों को ब्रिटिश साम्राज्य विस्तार के मौके के रूप में प्रयोग किया जा सकता है 
  • ब्रिटिश सैन्य कौशल, नेतृत्व का महत्व तथा प्रशिक्षण की श्रेष्ठता का एहसास 
  • साथ ही भारतीय राजाओं की अत्यंत बड़ी सेना में प्रशिक्षण, तकनीकी कौशल तथा योग्य नेतृत्व के अभाव की जानकारी 
  • कम वेतन पर काम कर सकने वाले भारतीय सैनिकों की निष्ठा पर भरोसा 
  • इस सीख का प्रयोग ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में साम्राज्य विस्तार के लिए किया 

बंगाल में विस्तार की रूपरेखा पर चर्चा  (10:19:56 AM)

TOPICS FOR THE NEXT CLASS: बंगाल, मैसूर, मराठा राज्य