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Economics Class Hindi

विगत कक्षा के अंशों के आधार पर संवाद तथा आज की कक्षा के उद्देश्यों का उल्लेख (11:06:01 AM)

न्यूनतम समर्थन मूल्य (11:12:22 AM):

  • यह वह मूल्य है, जो उत्पादकों को मूल्य गिरावट की स्थिति में भी यह गारंटी प्रदान करता है कि सरकार निर्धारित एमएसपी पर उत्पाद को खरीद ले। 
  • अतः किसान बिना मूल्य गिरावट के भय के फसल उत्पादन का निर्णय ले सकते हैं। 
  • एमएसपी घोषित करने के कारण:
    • एमएसपी की घोषणा प्रत्येक बुवाई सीजन ( रबी एवं खरीफ) से पहले की जाती है, ताकि किसान आसानी से स्वयं द्वारा उत्पादित की जाने वाली फसल का चुनाव कर सके।
    • बाजार मूल्य स्थिरतता सुनिश्चित करना। 
    • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना। 
    • सरकार एमएसपी के माध्यम से फसल प्रतिरूप को भी प्रभावित कर पाती है। अतः अर्थव्यवस्था की आवश्यकता अनुरूप उत्पादन संभव हो पाता है।  
  •  एमएसपी संबंधी व्यवस्था (प्रारम्भिक परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण):
    • सिफारिश: एमएसपी की अनुशंसा कृषि मूल्य एवं लागत आयोग (CACP ) द्वारा की जाती है।
    • घोषणा: एमएसपी की अंतिम घोषणा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा की जाती है।  
    • वर्तमान में, CACP द्वारा 22 फसलों के लिए एमएसपी तथा गन्ने के लिए एफआरपी ( उचित प्रतिफल मूल्य) की अनुशंसा की जाती है।
    • वह आधार जिन पर एमएसपी की अनुशंसा से पूर्व CACP द्वारा विचार किया जाता है:
      • उत्पादन की लागत,
      • मांग एवं आपूर्ति की स्थिति,
      • घरेलू एवं वैश्विक बाजारों में मूल्य की स्थिति,
      • उपभोक्ताओं का हित,
      • अंतर फसल समता,
      • ट्रेड ऑफ: कृषि एवं गैर कृषि क्षेत्रक के बीच टर्म ऑफ ट्रेड 
      • वर्तमान में, CACP द्वारा उत्पादन की लागत की गणना हेतु A2+FL फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। 
      • इस फॉर्मूला के आधार पर निकाली गई उत्पादन लागत का डेढ़ गुणा किसानों को एमएसपी के रूप में देने हेतु अनुशंसा की जाती है।
  • एमएसपी के तहत कवर की जाने वाली फसलें:
    • सात अनाज: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, और रागी
    • पांच दालें: चना, अरहर, मूंग, उड़द, और मसूर
    • आठ तेल बीज: मूंगफली, रेपसीड (सरसों), तोरिया, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, कुसुम के बीज, और नीगर के बीज
    • खोपरा (नारियल गिरी)
    • कच्चा कपास
    • कच्चा जूट 
  • एमएसपी निर्धारण की पद्धति (12:33:55 PM):
    • A2 : इसके तहत किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, इत्यादि खरीदने हेतु किया गया भुगतान तथा सिंचाई एवं श्रम, इत्यादि हेतु किया गया प्रत्यक्ष व्यय शामिल होता है। 
    • A2+FL: इसके तहत A2 के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम को भी शामिल किया जाता है। 
    • C2: A2+FL के साथ-साथ कृषकों के स्वामित्व वाली भूमि का किराया एवं अचल संपत्ति ब्याज को भी शामिल किया जाता है।  
  • एमएसपी से संबंधित चिंताएं (12:49:31 PM):
    • सभी फसलों के मामलों में असीमित खरीद न होना। 
    • अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों एवं किसानों को एमएसपी का लाभ मिलना ( शांता कुमार समिति के अनुसार, मात्र 6% किसान ही एमएसपी से लाभान्वित हो रहे हैं)। 
    • फसल प्रतिरूप का विकृत होना ( धान तथा गेहूं प्रणाली तक सीमित),
    • मुद्रास्फीति को बढ़ावा,
    • राजकोषीय बोझ में वृद्धि, 
    • फसल विविधीकरण में बाधक,
    • डबल्यूटीओ में भारतीय एमएसपी सब्सिडी को ले कर आपत्ति।  
  • एमएसपी को कानूनी दर्जा देने से संबंधित विश्लेषण (1:12:58 PM):
    • पक्ष में तर्क:
      • कृषकों की सहायता एवं आय संबंधी सुरक्षा तथा कृषकों को उचित प्रतिफल की प्राप्ति संभव। 
      • धान एवं गेहूं के अलावा  अन्य फसलों के संदर्भ में एमएसपी का लाभ फसल विविधीकरण को बढ़ा कर, फसल प्रतिरूप को बेहतर कर सकता है। 
      • निर्यात की संभावनाओं में वृद्धि,
      • सम्पूर्ण भारत वर्ष में, किसानों को लाभ,
      • कृषक की आत्महत्या जैसी घटनाओं में कमी, 
      •  कृषि में निवेश में वृद्धि। 
    • विपक्ष में तर्क:
      • सरकार पर राजकोषीय दबाव बढ़ेगा,
      • लॉजिसटिक सीमाएं,
      • मुद्रास्फीति का बढ़ना,
      • एमएसपी के दायरे में आने वाली फसलों के अलावा अन्य फसलों की अवहेलना हो सकती है,
      • डबल्यूटीओ के सब्सिडी सीमा के उल्लंघन की आशंका। 
    • समाधान (1:22:46 PM):
      • सभी फसलों के लिए गारंटीकृत कीमत के स्थान पर कुछ फसलों के लिए गारंटी प्रदान की जा सकती है, जैसे- सरकार द्वारा आंदोलित कृषकों के समक्ष कुछ फसलों के लिए गारंटीकृत एमएसपी की पेशकश की गई ( अरहर एवं मसूर की दाल, मक्का, कॉटन, इत्यादि)। 
      • एमएसपी को सीमित अवधि के लिए गारंटीकृत किया जा सकता है, जैसे- सरकार द्वारा कुछ फसलों के संदर्भ में 5 वर्षों की अवधि के लिए गारंटीकृत खरीद की पेशकश की गई। 
      •  सरकार द्वारा कुछ राज्यों के कृषकों के साथ ( बिहार, झारखंड, गुजरात, तमिलनाडु, इत्यादि ) के साथ कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से अरहर एवं मसूर की दाल के उत्पादन को सुनिश्चित किया गया है। 
      • भावांतर भुगतान व्यवस्था का इस्तेमाल। 
      • yes-Tech   

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