//
VisionIAS - Video Classroom Lecture
Vision-IAS Logo


Environment Class 03

विगत कक्षा के अंशों के आधार पर संवाद तथा आज की कक्षा के उद्देश्यों का उल्लेख (11:05:23 AM)

प्रवाल विरंजन (11:06:49 AM):

  • विभिन्न प्रकार की प्रदूषणकारी घटनाओं के कारण शैवालों की मृत्यु हो जाती है, जिसके कारण प्रवाल अपना रंग खो देता है, जिसे प्रकृति में प्रवाल विरंजन के रूप में जानते हैं। 
  •  इसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं:
    • वातावरण के तापमान में वृद्धि ( कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन, आदि)
    • समुद्र में अम्लीयता में वृद्धि 
    • नदियों द्वारा लाए गए हानिकारक रासायनिक पदार्थों का प्रभाव 

कुछ विशेष दीमक (11:13:23 AM):

  • दीमक की आंत में रहने वाले प्रोटोजोआ समूह के जीवों के साथ उनका सहजीवी संबंध होता है। 
  • दीमक लकड़ियों में उपस्थित सेल्यूलोज ( कार्बोहाईड्रेट) को भोजन के रूप में ग्रहण करता है, जिनकी आंतों से प्रोटोजोआ संघ के जीव अपने पोषण को लेते हैं तथा साथ ही साथ, ये जीव दीमक के भोजन के पाचन में मदद भी करते हैं। 

पशुरति ( Zoophily) (11:18:48 AM):  

  • कुछ जन्तु पौधों के पास भोजन के लिए जाते हैं तथा साथ ही साथ, ये उनके परागकणों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं, जिससे पौधों में परागण की प्रक्रिया होती है। 

जन्तु प्रकीर्णन:

चींटी के शरीर पर कवक:

  • अमेरिका तथा वेस्टइंडीज आदि में इस प्रकार की चींटियों पाई जाती हैं, जिनके शरीर पर कवक वृद्धि करते हैं। 
  • कवक परपोषी होते हैं, अतः चींटियों के शरीर से भोजन प्राप्त करते हैं। 
  • यही कवक इन चींटियों के लार्वा के लिए भोजन होते हैं। 

मशरूम:

  • मशरूम कवक श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। 
  • मशरूम 
  • कुछ मशरूम का परस्पर संबंध भी होता है। 
  • कवकों को पेड़ों की टहनियों पर तथा साथ-साथ सड़े गले जगहों पर भी वृद्धि करते हुए देखा जा सकता है। 
  • मशरूम कार्बनिक यौगिक से समृद्ध होते हैं। 

खाने योग्य कवक:

  • Agaricus bisporus
  • गुच्ची, आदि। 
  • नोट:
    • मशरूम प्रोटीन युक्त होते हैं तथा एंटीकैंसरस प्रवृति भी देखी गई है।  
    • मशरूम में पाए जाने वाले अन्य गुण:
      • मनोसक्रिय गुण (Psychoactive Properties)
      • कीटनाशकों के रूप में (Insecticidal) 
      • विभ्रामक औषधि ( Hallucinogenic Drug)
      • जीव संदीप्ति (Bioluminescence) 

माईकोराईजा (11:55:04 AM):

  • कवक विकसित पौधों की जड़ों के बीच का आपसी सामंजस्य हैं (+ +)। 
  • कवक परपोषी होते हैं, जो पौधों की जड़ों से पोषण लेते हैं तथा साथ ही साथ पौधों को फ़ॉस्फोरस प्रदान करने में मदद करते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि तीव्र होती है।

दाल के पौधों की जड़ों में नाईट्रोजन स्थिरीकरण (11:59:56 AM): 

विनाईट्रिकरण (12:27:36 PM):

  • मृदा में उपस्थित नाईट्रोजन के यौगिक ( अमोनिया, नाईट्राईट, नाईट्रेट ) विनाईट्रीकारी जीवाणुओं की मदद से ( स्यूडोमोनास) की मदद से पुनः वातावरणीय नाईट्रोजन में परिवर्तित हो जाती है। यह प्रक्रिया विनाईट्रीकरण कहलाती है। 

जीवों में अनुकूलन (12:33:57 PM):

  • वंशानुगत अनुकूलन : पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला अनुकूलन   
  • उपार्जित अनुकूलन: परिस्थिति के अनुसार गुणों में परिवर्तन, उदाहरण- त्वचा के रंग में परिवर्तन  
  • पारिस्थितिक अनुकूलन: पारिस्थितिकी के अनुसार अनुकूलन, जैसे- स्वच्छ जल में पाई जाने वाली मछलियाँ लवणीय जल में मार जाती हैं। 

जंतुओं में अनुकूलन (12:44:59 PM):

  • जलीय अनुकूलन:
    • धारा रेखीय शरीर 
    • पख 
    • गलफड़े 
    • पार्श्व रेखिए अंग ( संवेदक अंग) 
    • वाताशय ( इनमें हवा होती, फलतः जीवों को मूवमेंट में सहूलियत होती है )
    • वृक्क ( ये अत्यंत विकसित होते हैं) 
    • शरीर का आकार 
    • गर्दन ( गर्दन अनुपस्थित) 
    • हल्की अस्थियाँ  
    • बाल एवं त्वचा ग्रंथियों की अनुपस्थिति 
    • बाह्य कर्ण अनुपस्थिति 
  • वेलापवर्ती (Pelaijic Adaptation ) (1:02:49 PM):
    • वेलापवर्ती क्षेत्र समुद्र में ऊपरी सतह पर होते हैं, जहां सूर्य का प्रकाश उपस्थित होता है।  
    • इस हिस्से में भोजन की प्रचुर मात्रा होती है। 
    • वेलापवर्ती क्षेत्रों में विभिन्न प्रवृत्ति के जीव मिलते हैं:
      • प्लैंकटॉन ( Passive Swimmer): ये जल की धारा के साथ आगे बढ़ते हैं, अतः अपनी ऊर्जा का उपयोग नहीं करते हैं। जन्तु प्लवक और पादप प्लवक  
      • नेक्टॉन ( Active Swimmer): यहाँ जीव अपनी ऊर्जा लगाकर गति करता है।  
      • नितल (Benthos): ये समुद्र की तली पर पाए जाने वाले जीव हैं। 
  • जैव संदीप्ति:
    • मुख्यतः जलीय जीवों में।  
    • यह मुख्यतः उन जीवों में पाया जाने वाला गुण है, जो समुद्र के ऊपरी हिस्से में रहते हैं, जहां मुख्यतः सूर्य का प्रकाश पहुंचता है। 
    • इन जीवों में रोशनी उत्पन्न करने वाले अंग पाए जाते हैं, जो उदर पक्ष (Ventral Side ) पर उपस्थित होते हैं।
    • इन जंतुओं के उदर पक्ष पर लूसीफ़ेरिन नामक पदार्थ एकत्रित रहता है, जब इन्हें रोशनी उत्पन्न करनी होती है, तो इनसे लुसिफ़रेज़ नामक एन्जाईम निकलता है, जो लूसीफ़ेरिन पदार्थ को तोड़ कर ऑक्सीलूसीफ़ेरिन का निर्माण करता है, फलस्वरूप रोशनी उत्पन्न होती है।  
    • उदाहरण- डायनोफ्लजेलिटस 
    • जैव संदीप्ति के कार्य:
      • शिकार को मूर्ख बनाना  
      • शिकार की तलाश करना  
      • अन्य शिकारियों से अपनी रक्षा करना 
      • जनन प्रक्रिया में मदद 

इकोलोकेशन (1:35:31 PM)

TOPICS FOR THE NEXT CLASS:->>>इकोलोकेशन पर चर्चा जारी, वायवीय अनुकूलन<<<